मुंबई. महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने पड़ोसी ठाणे से शनिवार को दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया, जिसमें से एक कुख्यात अपराधी विकास दुबे का फरार सहयोगी है. यह जानकारी एक अधिकारी ने दी. अधिकारी ने बताया कि दुबे का सहयोगी अरविंद उर्फ गुड्डन रामविलास त्रिवेदी (46) कानपुर जिले में कुख्यात अपराधी के घर छापेमारी के दौरान आठ पुलिसकर्मियों की हत्या में कथित तौर पर संलिप्त था. उन्होंने बताया कि साथ ही वह 2001 में उत्तर प्रदेश के नेता संतोष मिश्रा की हत्या में भी कथित तौर पर शामिल था.
एटीएस के पुलिस अधीक्षक विक्रम देशमाने ने कहा कि त्रिवेदी और उसके चालक सुशील उर्फ सोनू तिवारी (30) को ठाणे शहर के कोलशेट इलाके से गिरफ्तार किया गया. एटीएस अधिकारी ने बताया कि त्रिवेदी की गिरफ्तारी से कानपुर में दुबे और उसके गिरोह की गतिविधियों के बारे में कुछ जानकारी मिल सकती है.
उन्होंने कहा कि पूछताछ के दौरान त्रिवेदी ने दावा किया कि वह पंचायत समिति का सदस्य है और अपने गृह राज्य में एक राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि बिकरू गांव में घात लगाकर किये गए उस हमले के बाद दुबे एवं अन्य के साथ त्रिवेदी भी फरार हो गया था, जिसमें एक पुलिस उपाधीक्षक सहित आठ पुलिसकर्मी मारे गये थे. देशमाने ने कहा कि एटीएस की जुहू इकाई को पता चला कि त्रिवेदी छिपने के लिए मुंबई आया हुआ है. उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस के पूर्व ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ निरीक्षक दया नायक की अगुवाई में टीम ने कोलशेट से दोनों को गिरफ्तार कर लिया. एसपी ने कहा कि प्रारंभिक पूछताछ में त्रिवेदी ने स्वीकार किया कि वह और दुबे 2001 में उत्तरप्रदेश में नेता संतोष मिश्रा की हत्या और कई अन्य अपराधों में शामिल थे. उन्होंने कहा कि एटीएस ने उत्तरप्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एटीएफ) को गिरफ्तारी के बारे में सूचना दे दी है. कानपुर कांड में शामिल दुबे शुक्रवार को एक कथित मुठभेड़ में मारा गया था.
एटीएस अधिकारी ने कहा कि त्रिवेदी दुबे का बहुत करीबी था और नियमित रूप से उसके निवास पर जाता था. उन्होंने कहा कि वह कानपुर में मारे गए अपराधी की गतिविधियों के बारे में पुलिस को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है. त्रिवेदी और तिवारी द्वारा अपनाये गये मार्ग पर, उन्होंने कहा कि कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों के मारे जाने के एक दिन बाद दोनों कार में कानपुर से निकले थे और मध्य प्रदेश में दतिया पहुंचे थे. यह स्पष्ट नहीं है कि दुबे उनके साथ था या नहीं. उन्होंने कहा, “दतिया से दोनों महाराष्ट्र के पुणे की ओर जा रहे एक ट्रक में सवार हो गये. पुणे में कुछ समय बिताने के बाद, वे दूसरे ट्रक में सवार होकर मुंबई पहुंच गये, ’’ उन्होंने कहा कि मुंबई पहुंचने के बाद त्रिवेदी ने अपने कुछ रिश्तेदारों से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि दोनों को उनके गांव के एक व्यक्ति ने शरण दी, जो वर्तमान में कोलशेट में रह रहा है. अधिकारी ने कहा, “त्रिवेदी ने शुरू में अनुरोध किया था कि उन्हें एक दिन के लिए वहां रहने दिया जाये, लेकिन वह और तिवारी चार दिन वहां रहे.” उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा दुबे और उसके सहयोगियों पर नज़र रखने के लिए अभियान शुरू किया गया था, लेकिन एटीएस को अपने मुखबिरों के जरिये त्रिवेदी के ठिकाने के बारे में जानकारी मिली. एटीएस की टीम का हिस्सा रहे अधिकारी ने कहा, “एटीएस की जुहू इकाई ने जाल बिछाया और शनिवार को दोनों को गिरफ्तार कर लिया.” एक अन्य अधिकारी ने कहा कि त्रिवेदी ने जांचकर्ताओं को बताया कि वह बिकरू गांव में गोलीबारी की घटना के समय मौजूद था. अधिकारी ने कहा कि उसके दावों का सत्यापन किया जा रहा है.
मुंबई. महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने पड़ोसी ठाणे से शनिवार को दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया, जिसमें से एक कुख्यात अपराधी विकास दुबे का फरार सहयोगी है. यह जानकारी एक अधिकारी ने दी. अधिकारी ने बताया कि दुबे का सहयोगी अरविंद उर्फ गुड्डन रामविलास त्रिवेदी (46) कानपुर जिले में कुख्यात अपराधी के घर छापेमारी के दौरान आठ पुलिसकर्मियों की हत्या में कथित तौर पर संलिप्त था. उन्होंने बताया कि साथ ही वह 2001 में उत्तर प्रदेश के नेता संतोष मिश्रा की हत्या में भी कथित तौर पर शामिल था.
एटीएस के पुलिस अधीक्षक विक्रम देशमाने ने कहा कि त्रिवेदी और उसके चालक सुशील उर्फ सोनू तिवारी (30) को ठाणे शहर के कोलशेट इलाके से गिरफ्तार किया गया. एटीएस अधिकारी ने बताया कि त्रिवेदी की गिरफ्तारी से कानपुर में दुबे और उसके गिरोह की गतिविधियों के बारे में कुछ जानकारी मिल सकती है.
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एटीएस अधिकारी ने कहा कि त्रिवेदी दुबे का बहुत करीबी था और नियमित रूप से उसके निवास पर जाता था. उन्होंने कहा कि वह कानपुर में मारे गए अपराधी की गतिविधियों के बारे में पुलिस को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है. त्रिवेदी और तिवारी द्वारा अपनाये गये मार्ग पर, उन्होंने कहा कि कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों के मारे जाने के एक दिन बाद दोनों कार में कानपुर से निकले थे और मध्य प्रदेश में दतिया पहुंचे थे. यह स्पष्ट नहीं है कि दुबे उनके साथ था या नहीं. उन्होंने कहा, “दतिया से दोनों महाराष्ट्र के पुणे की ओर जा रहे एक ट्रक में सवार हो गये. पुणे में कुछ समय बिताने के बाद, वे दूसरे ट्रक में सवार होकर मुंबई पहुंच गये, ’’ उन्होंने कहा कि मुंबई पहुंचने के बाद त्रिवेदी ने अपने कुछ रिश्तेदारों से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि दोनों को उनके गांव के एक व्यक्ति ने शरण दी, जो वर्तमान में कोलशेट में रह रहा है. अधिकारी ने कहा, “त्रिवेदी ने शुरू में अनुरोध किया था कि उन्हें एक दिन के लिए वहां रहने दिया जाये, लेकिन वह और तिवारी चार दिन वहां रहे.” उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा दुबे और उसके सहयोगियों पर नज़र रखने के लिए अभियान शुरू किया गया था, लेकिन एटीएस को अपने मुखबिरों के जरिये त्रिवेदी के ठिकाने के बारे में जानकारी मिली. एटीएस की टीम का हिस्सा रहे अधिकारी ने कहा, “एटीएस की जुहू इकाई ने जाल बिछाया और शनिवार को दोनों को गिरफ्तार कर लिया.” एक अन्य अधिकारी ने कहा कि त्रिवेदी ने जांचकर्ताओं को बताया कि वह बिकरू गांव में गोलीबारी की घटना के समय मौजूद था. अधिकारी ने कहा कि उसके दावों का सत्यापन किया जा रहा है.
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