नयी दिल्ली. सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक संगठन ने उपक्रम की पेंशन योजना को अंतिम रूप दिये जाने में हुई देरी के चलते कर्मचारियों को ब्याज का भुगतान नहीं किये जाने से संबंधित मामले में सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ कोल एक्सीक्यूटिव्स (एआईएसीई) के प्रधान महासचिव पीके सिंह राठौड़ ने सरकार को भेजे एक पत्र में कहा, ‘‘हमारा संगठन कोल इंडिया के निदेशक मंडल स्तर के और इससे निचले स्तर के अधिकारियों के सेवानिवृत्ति लाभ के तौर पर सीआईएल कार्यकारी सुनिश्चित योगदान पेंशन योजना-2007 के निपटान में हुई देरी के चलते एक जनवरी 2007 से क्षतिपूर्ति दर पर ब्याज के भुगतान को शीघ्रता से मंजूरी दिये जाने के संदर्भ में आपसे हस्तक्षेप की मांग करता है।” उन्होंने कहा कि एक जनवरी 2007 से 31 मार्च 2020 तक कोल इंडिया के करीब 10 हजार अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। दुर्भाग्य से इनमें से कई अधिकारियों की बिना सेवानिवृत्ति और योजना के ब्याज लाभ पाये मृत्यु हो चुकी है। कोल इंडिया और इसकी अनुषंगियों ने योजना के क्रियान्वयन से पहले ही मर चुके अधिकारियों को लेकर नामितों की पहचान नहीं की है। ऐसे में उनके हिस्से का कोष सीआईएल और अनुषंगी कंपनियों के संदेहास्पद खाते में पड़ा है। राठौड़ ने कहा, ‘‘कोल इंडिया लिमिटेड के प्रबंधन से हमारे लगातार संवाद से ज्ञात हुआ कि ब्याज घटक के भुगतान के मुद्दे को आवश्यक निर्देश के लिये कोयला मंत्रालय के पास भेजा जा चुका है। अभी भी इस मुद्दे का हल नहीं निकल पाया है। अन्य सार्वजनिक उपक्रमों ने योजना के क्रियान्वयन के तत्काल बाद अधिकारियों के सेवानिवृत्ति लाभ का हिस्सा उनके खाते में डाल दिया है, लेकिन कोल इंडिया लिमिटेड सरकार से निर्देश की आस में अभी तक ऐसा नहीं कर पायी है।” उन्होंने कहा, ‘‘हमें आशंका है कि जब इस योजना के क्रियान्वयन में 12 साल लग गये तो कहीं ब्याज भुगतान के मुद्दे का हल निकलने में और 12 साल न लग जाये।” संगठन ने कहा है कि सेवानिवृत्ति योजना को लागू होने में हुई देरी के कारण उसके कई सेवानिवृत्त हो चुके कार्यकारी अधिकारियों को भारी नुकसान हुआ है। ट्रस्ट..कोषबनाने में हुई देरी के कारण ब्याज का नुकसान, इसके साथ ही सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान करने में हुई देरी के कारण हुये नुकसान से उन्हें यह नुकसान हुआ है। ब्याज भुगतान नहीं होने के कारण जो घाटा हुआ है वह सेवानिवृत्त अधिकारियों को मिले रहे सेवानिवृत्ति लाभ का मौटे तौर पर 50 प्रतिशत तक है.

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