बिहार में नौकरी के अधिकार को लेकर युवाओं का बिगुल, छात्र बोले – “हमारा हक, हमारी ज़मीन, हमारी नौकरी!”
दिलीप, छात्र नेता
पटना: संपूर्ण क्रांति दिवस पर पटना की सड़कों पर आज फिर इतिहास खुद को दोहराने को तैयार है। बिहार की सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग को लेकर प्रदेशभर से हजारों छात्र राजधानी में जुट रहे हैं। इस आक्रोश की कमान संभाली है छात्र नेता दिलीप ने, जिनके नेतृत्व में आज सुबह 10 बजे पटना कॉलेज से सीएम हाउस की ओर ‘हल्ला बोल’ मार्च शुरू होगा।
🔥 मुख्य मांगे और आंदोलन का प्लान:
90% नौकरियां बिहार के युवाओं को मिलें, बाहरी राज्यों के लिए सिर्फ 10% आरक्षित हों।
शिक्षक बहाली में बाहरी राज्यों के 30% से अधिक अभ्यर्थी, बिहार के छात्रों के साथ अन्याय।
गांधी मैदान से इनकम टैक्स चौराहा होते हुए बेली रोड तक विशाल मार्च।
अगर सरकार नहीं मानी, आंदोलन होगा और तेज।
🧭 डोमिसाइल की राजनीति पर दिलीप का हमला:
छात्र नेता दिलीप ने कहा –
“जब नेता विपक्ष में होते हैं तो डोमिसाइल की बात करते हैं, सत्ता में आते ही भूल जाते हैं। तेजस्वी यादव ने 85% डोमिसाइल वादा किया, लेकिन सत्ता में आते ही पहले ही शिक्षक बहाली से उसे हटा दिया।”
🧨 डोमिसाइल न होने से छात्रों को क्या नुकसान?
बिहार के युवा अपने ही राज्य में नौकरी से वंचित।
यूपी, झारखंड में डोमिसाइल लागू है, बिहार के छात्रों को एंट्री नहीं।
लेकिन वहां के युवा बिहार में बिना रोक-टोक भर्ती में शामिल।
🚨 ‘सरकार मानी तो ठीक, नहीं तो गांव-गांव होगा प्रचार’
दिलीप ने चेतावनी दी –
“अगर छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ तो हम गांव-गांव जाकर सरकार की पोल खोलेंगे। यह सरकार सिर्फ वोट के समय बिहारी बनती है, नौकरी के समय बाहरी युवाओं को मौका देती है।”
✊ संपूर्ण क्रांति दिवस का नया अर्थ
5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस, जो जेपी आंदोलन की याद में मनाया जाता है, इस बार एक नए छात्र क्रांति के रूप में दर्ज हो सकता है। छात्र संगठनों ने इसे बिहारी युवाओं के अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बनाने का फैसला लिया है।
📌 मुख्य बिंदु (Highlighters):
📍 हज़ारों छात्र सड़कों पर, डोमिसाइल लागू करने की मांग।
📍 आंदोलन की कमान दिलीप के हाथ में, सीएम हाउस का घेराव तय।
📍 बिहार के छात्रों के साथ अन्याय का आरोप – बाहरी ले रहे नौकरी।
📍 90% डोमिसाइल लागू करने की स्पष्ट मांग।
📍 अगर सरकार नहीं मानी – आंदोलन होगा तेज, गांव-गांव प्रचार।
यह आंदोलन सिर्फ एक मांग नहीं, बल्कि बिहार के युवाओं की आवाज़ है – जो अब थमने वाली नहीं है।