- मथुरा/यूनीवार्ता
कोरोना वायरस के संक्रमण ने भले ही ब्रज में जन्माष्टमी की रौनक फीकी करने का प्रयास किया, लेकिन ब्रजवासियों ने इस महान पर्व को इतनी भक्ति और श्रद्धा से मनाया कि ब्रज का कोना कोना कृष्णमय हो उठा. कोविड-19 के गाइडलाइंस में प्रतिबंधों के कारण यद्यपि भंडारों का आयोजन नहीं किया गया, मगर मुख्य चौराहों को बिजली की सजावट से नया कलेवर देने का प्रयास किया गया था. इसी प्रकार प्रतिबंधों के कारण आज भक्तों का मंदिरों में प्रवेश वर्जित था, लेकिन मंदिरों के अंदर यह पर्व पूरे जोश-ओ-खरोश से मनाया गया. वृंदावन के राधा दामोदर मंदिर, शाह जी मंदिर एवं राधारमण मंदिर में दिन में ही जन्माष्टमी मनाने की परंपरा है. अभिषेक शुरू होने से पहले वैदिक मंत्रों की प्रतिध्वनि के बीच सेवायतों का समूह आज जब मिट्टी के घड़ों में यमुना जल लेकर मंदिर में प्रवेश करने लगा, तो राधारमणलाल के जयकारे ने वातावरण की शांति को भंग कर दिया.
चार घंटे से अधिक समय तक चले अभिषेक में 27 मन दूध, दही, खंडसारी, शहद, घी और जड़ी-बूटियों से एक ओर अभिषेक चल रहा था, चरणामृत की मोटी धार से ठाकुर का अभिषेक हो रहा था तो दूसरी ओर घंटे, घड़ियाल और शंखध्वनि के मध्य वैदिक मंत्रों के पाठ से मंदिर और आसपास का वातावरण धार्मिकता से भर गया था. आरती से पूर्व सेवायत गोस्वामीगणों ने अपने लाला को दीर्घजीवी होने का आशीर्वाद दिया और आरती के बाद अभिषेक का कार्यक्रम समाप्त हुआ.
वृंदावनवासी उक्त तीन मंदिरों के चरणामृत से ही अपने व्रत के नियम को शुरू करते हैं. राधा दामोदर मंदिर के सेवायत कनिका गोस्वामी एवं शाह जी मंदिर के सेवायत प्रशांत शाह ने कोरोना के लगे प्रतिबंधों के कारण इस वर्ष चरणामृत न बांटने की घोषणा कर दी थी, जबकि राधा रमण मंदिर के सेवायत आचार्य एवं मंदिर प्रबंध समिति के सचिव पद्मनाभ गोस्वामी ने राधारमण मंदिर के बाहर सामाजिक दूरी बनाये हुए चरणामृत बांटने की घोषणा कर दी थी, इसलिए इस मंदिर के बाहर ही सामाजिक दूरी बनाये हुए लोग अभिषेक शुरू होते ही पहुंच गये थे. मंदिर के सामने काफी लंबे समय तक चरणामृत का वितरण किया गया.

उधर जन्माष्टमी का भोर होते ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान समेत ब्रज के मंदिरों में शहनाई और नगाड़े बज उठे, तो शहनाई की आवाज सुनते ही ब्रजवासी भाव-विभोर होकर नृत्य कर उठे. महिलाएं अपने अपने घरों में गायन कर उठीं “जसोदा जायो लालना मैं वेदन में सुनि आई.’’ श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि जन्मस्थान स्थित भागवत भवन में जन्माष्टमी की शुरुआत शहनाई और नगाड़े के वादन से हुई तथा इसके बाद मंगला आरती हुई तथा ठाकुर का पंचामृत अभिषेक भी किया गया. पूर्वाह्न 10 बजे से भागवत-भवन में युगल सरकार श्रीराधाकृष्ण के विग्रह के श्रीचरणों में दिव्य पुष्पांजलि का कार्यक्रम भी शुरू हुआ, जिसमें भजन गायक राजीव चोपड़ा ने ठाकुरजी के समक्ष परंपरागत पद एवं भजनों का प्रस्तुतीकरण कर वातावरण को धार्मिकता से भर दिया. इस अवसर पर ठाकुरजी रेशम, जरी एवं रत्न प्रतिकृति के सुंदर संयोजन से बनी ‘पुष्प-वृंत’ पोशाक धारण किये हुए थे. कार्यक्रम का समापन आरती से हुआ. भारत विख्यात द्वारकाधीश मंदिर के विधि एवं मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी के अनुसार, मंदिर में जन्माष्टमी की शुरुआत मंगला के समय ठाकुर के अभिषेक से हुई. प्राचीन केशव देव मंदिर एवं नंदबाबा मंदिर नंदगांव में जन्माष्टमी मंगलवार को ही मना ली गयी थी, तो गोकुल में कोरोना के कारण दधिकाना सार्वजनिक रूप से न मनाने की घोषणा कर दी गयी है. हालांकि वहां के प्रसिद्ध राजा ठाकुर मंदिर में कान्हा के गोकुल आने पर होनेवाले कार्यक्रमों की तैयारी जोश-ओ-खरोश से चल रही थी. महाबन और गोवर्धन के मंदिरों में भी आज ठाकुर का अभिषेक भक्तों की अनुपस्थिति में हुआ