नयी दिल्ली. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग कर प्रौद्योगिकी उत्पाद विकसित करने के लिए मंगलवार को 4.3 करोड़ रुपये की प्रतियोगिता शुरू की। इस स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर का निर्माण भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास और प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक) ने किया है। आधिकारिक बयान के मुताबिक इस ‘स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज’ के लिए पंजीकरण मंगलवार से ही शुरू हो गए हैं। इस प्रतियोगिता का समापन जून 2021 में होगा। प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली 100 टीमों को पुरस्कार के रूप में कुल एक करोड़ रुपये और फाइनल में पहुँचने वाली 25 टीमों को पुरस्कार के रूप में कुल एक करोड़ रुपये जीतने का मौक़ा मिलेगा। अंतिम 10 में जगह बनाने वाली टीमों को कुल 2.3 करोड़ रुपये के पुरस्कार और 12 महीने के लिए इन्क्यूबेशन (कारोबार विकसित करने के लिए परामर्श) समर्थन मिलेगा। बयान के मुताबिक आईआईटी मद्रास और सी-डैक ने ओपन सोर्स संरचना का उपयोग करते हुए शक्ति (32 बिट) और वेगा (64 बिट) नाम के दो स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर विकसित किए हैं। इस प्रतिस्पर्धा के लिए इन प्रोसेसरों को उपलब्ध कराया जाएगा। केंद्रीय कानून एवं न्याय, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को “स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज- #आत्मनिर्भर भारत के लिए नवाचार समाधान” की शुरूआत की घोषणा की । इसका उद्देश्य देश में स्टार्ट-अप, नवाचार और अनुसंधान के मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र को और गति प्रदान करना है। इस प्रतिस्पर्धा के तहत नवोन्मेषी, स्टार्टअप और छात्रों को आमंत्रित किया गया है कि वे इन माइक्रोप्रोसेसरों का उपयोग करते हुए विभिन्न प्रौद्योगिकी उत्पादों को विकसित करें।