संगीता श्रीवास्तव
अनूठी हमारी संस्कृति,
संस्कृत की लाडली हिंदी।
प्रतिबिंब संस्कारों का,
जनमानस की आवाज हिंदी।
मनोरम, मीठी, कोमल,
मीत है सबकी हिंदी।
लोक के इतिहास की,
गौरवगाथा है हिंदी।
भाषाएँ समेटती आँचल में,
मृदु उर वाली है हिंदी।
देश एक, जाति अनेक,
एकता का गीत है हिंदी।
परिवेश भाईचारे का,
हिंदुस्तान की पहचान है हिंदी।
माँ भारती की संतान हम,
मानवता का तान है हिंदी।
मुक्त गगन की मंगल भाषा,
भारत की शान है हिंदी।
जन-जन की अभिलाषा,
राजभाषा हमारी हिंदी।
माँ भारती के माथे की शोभा,
बिंदी-सी उज्ज्वल हिंदी।
पूजा करूं सदा मैं तेरी,
दिल की आगाज है हिंदी।।
लेखिका क्रेडो वर्ल्ड स्कूल,
धनबाद, झारखण्ड में हिंदी की शिक्षिका हैं