क्या अनुच्छेद 356/355 का वक्त आ गया है?
लेखक: KHABAR17 विशेष संवाददाता
पश्चिम बंगाल के हालात पर एक बार फिर चिंता की लहर दौड़ गई है। हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक वरिष्ठ नेता ने यह दावा किया कि बंगाल के नौ ज़िलों की जनसंख्या संरचना (Demography) पूरी तरह बदल चुकी है। उनका आरोप है कि इन ज़िलों पर अब बांग्लादेशी घुसपैठियों और अपराधियों का नियंत्रण है और राज्य पुलिस के पास अब कुछ भी नहीं बचा।
यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक गंभीर आरोप है जो ना केवल पश्चिम बंगाल की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी खतरे की घंटी है।

क्या सचमुच बदल गई है डेमोग्राफी?
आरोपों के मुताबिक़, सीमावर्ती ज़िलों जैसे मालदा, मुर्शिदाबाद, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण 24 परगना, बशीरहाट, नदिया, बीरभूम, हावड़ा और बर्धमान में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इन इलाकों में अपराध, तस्करी, अवैध मदरसों और कट्टरपंथी गतिविधियों में इज़ाफा हुआ है।
राज्य सरकार इन आरोपों से इनकार करती रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि इन इलाकों में हिंदू परिवार असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कई गांवों से हिंदू पलायन की खबरें भी सामने आई हैं।

हिंदुओं पर हमले: असहाय होती जाती बहुसंख्यक आबादी
पिछले कुछ वर्षों में बंगाल में धार्मिक आधार पर हिंसा की घटनाएं तेज़ी से बढ़ी हैं। रामनवमी, दुर्गा विसर्जन, हनुमान जयंती जैसे त्योहारों पर बार-बार हिंसा की खबरें आई हैं — और दुर्भाग्य से इन घटनाओं का सबसे ज़्यादा खामियाज़ा हिंदू समुदाय को ही भुगतना पड़ा है।
महिलाओं से अभद्रता, मंदिरों में तोड़फोड़, दुकानों और घरों को जलाया जाना — ये सब कुछ एक राज्य में हो रहा है जिसे “संविधानिक रूप से धर्मनिरपेक्ष” कहा जाता है।
ममता सरकार की भूमिका पर सवाल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वह तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। जब राज्य में हिंसा होती है, तो प्रशासन पीड़ितों की बजाय हमलावरों के पक्ष में खड़ा दिखता है।
वीडियो में बयान देने वाले नेता ने तो यहाँ तक कह दिया कि “ममता सरकार को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए” क्योंकि वह न तो अपनी पुलिस से हालात संभाल पा रही है, न ही लोगों को सुरक्षा दे पा रही है। यह बयान भले ही भावनात्मक हो, लेकिन यह जनता के भीतर पनप रहे गुस्से और असंतोष का संकेत है।
क्या अनुच्छेद 356/355 का वक्त आ गया है?
नेता ने केंद्र सरकार से अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) और 355 (राज्य में कानून व्यवस्था के लिए केंद्र का हस्तक्षेप) लगाने की मांग की है। भारतीय संविधान में यह प्रावधान तभी लागू होता है जब कोई राज्य सरकार संविधान के अनुसार नहीं चल रही हो।
अगर इन आरोपों में सच्चाई है और राज्य सरकार स्थिति को संभालने में विफल है, तो केंद्र सरकार को निश्चित रूप से हस्तक्षेप पर विचार करना चाहिए।
निष्कर्ष: यह सिर्फ बंगाल नहीं, भारत का सवाल है
पश्चिम बंगाल भारत का एक संवेदनशील सीमावर्ती राज्य है। यहां की सुरक्षा, संस्कृति और जनसंख्या संरचना पूरे देश को प्रभावित करती है। अगर बांग्लादेशी घुसपैठ, कट्टरपंथ और अपराध यहां की नीतियों पर हावी हो गए, तो यह न केवल बंगाल बल्कि भारत के भविष्य के लिए खतरे की घंटी होगी।
मुद्दा सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि देश की आत्मा की रक्षा का है। यदि बहुसंख्यक समुदाय अपने ही देश में डर के साए में जीने लगे, तो लोकतंत्र का क्या मतलब रह जाएगा?
(KHABAR17 अपने पाठकों से आग्रह करता है कि वे इस गंभीर मुद्दे को सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक संतुलन के नजरिए से देखें।)