दानापुर के राजद विधायक रीतलाल यादव समेत चार लोगों ने कोर्ट में किया सरेंडर -रंगदारी मामले में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गये
एजेंसियां, पटना: पटना जिले की एक अदालत ने गुरुवार को जबरन वसूली के एक मामले में राजद विधायक रीतलाल यादव और उनके तीन सहयोगियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. मामले में वांछित यादव और उसके साथियों ने आज दिन में दानापुर अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. दानापुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले राजद विधायक और उनके तीन सहयोगी चिक्कू यादव, पिंकू यादव और श्रवण यादव को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. दानापुर अदालत में पत्रकारों से बात करते हुए यादव ने कहा कि वह एक राजनीतिक साजिश का शिकार हैं… उनकी जान को खतरा है… उनकी हत्या हो सकती है. अगर वह जिंदा रहे, तो जमानत के लिए कागजात दाखिल करेंगे.
कुछ अधिकारी हैं, जो उनके खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि वह दोहराते हैं कि उनकी जान को खतरा है. विधायक ने आरोप लगाया कि पिछले कई महीनों से मुझे खत्म करने की साजिश रची जा रही थी. मुझे मारने के लिए कुछ अधिकारियों ने मेरे प्रतिद्वंद्वियों को एक अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराया था.
पटना-पश्चिम के पुलिस अधीक्षक (एसपी) शरत आर एस ने बताया कि यादव ने पटना की दानापुर अदालत में आत्मसमर्पण किया है और उसके खिलाफ अन्य कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि वह और उनके सहयोगी फिरौती के एक मामले में वांछित थे. बिल्डर की शिकायत पर दानापुर और अन्य इलाकों में 11 स्थानों पर हुई थी छापेमारी l
बिहार पुलिस ने 11 अप्रैल को पटना में जबरन वसूली के एक मामले की जांच के सिलसिले में राजद विधायक रीतलाल यादव और उनके करीबियों के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. पुलिस ने पटना के दानापुर और अन्य इलाकों में 11 स्थानों पर छापेमारी की थी. यह कार्रवाई एक बिल्डर की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी के आधार पर की गई थी, जिसमें यादव और पांच अन्य को आरोपी बनाया गया था.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसे बीते कुछ दिनों से आरोपियों की ओर से फिरौती और जान से मारने की धमकी मिल रही थी. साथ ही, संपत्ति से संबंधित कुछ दस्तावेजों में कथित फर्जीवाड़े का भी आरोप लगाया गया था.
शिकायतकर्ता पटना के खगौल इलाके में एक अपार्टमेंट का निर्माण करवा रहा था. पुलिस ने कहा था कि तलाशी के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज और सामग्री जब्त की गई थी, जिनमें 10 लाख रुपये नकद, 77 लाख रुपये के चेक, छह खाली चेक, संपत्ति के क्रय-विक्रय से संबंधित 14 रजिस्ट्री दस्तावेज और 17 चेकबुक शामिल हैं. पुलिस के अनुसार, 11 अप्रैल को छापेमारी के दौरान सभी आरोपी फरार थे.