नई दिल्ली, 1 मई 2025:
भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी हैं। यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब उनके तीन वर्षीय कार्यकाल की समाप्ति में अभी छह महीने शेष थे।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (ACC) ने 30 अप्रैल, 2025 को सुब्रमण्यन की सेवाएं औपचारिक रूप से समाप्त करने का आदेश जारी किया। हालांकि, सरकार की ओर से इस अप्रत्याशित फैसले का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है, लेकिन विभिन्न सूत्रों ने कुछ संभावित कारणों की ओर संकेत किया है।
सवालों और संदेहों की पृष्ठभूमि
सूत्रों के अनुसार, डॉ. सुब्रमण्यन ने हाल ही में IMF के डेटा सेट की विश्वसनीयता और पारदर्शिता को लेकर कुछ सवाल उठाए थे, जिससे बोर्ड के भीतर असहजता पैदा हुई। इसके अतिरिक्त, उनकी नई पुस्तक India @ 100 के प्रचार-प्रसार के दौरान हुई कथित अनियमितताओं को लेकर भी कुछ हलकों में चिंता जताई गई थी।
महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां और योगदान
डॉ. सुब्रमण्यन ने 1 नवंबर, 2022 को IMF में भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और भूटान के संयुक्त निर्वाचन क्षेत्र की ओर से कार्यकारी निदेशक का पद संभाला था। इससे पहले वे भारत सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के रूप में भी सेवा दे चुके हैं और उनके कार्यकाल को आर्थिक सुधारों की दृष्टि से काफी प्रभावशाली माना जाता रहा है।
IMF का कार्यकारी बोर्ड कुल 25 निदेशकों से मिलकर बना होता है, जिनमें से प्रत्येक विभिन्न देशों या समूहों का प्रतिनिधित्व करता है। भारत जिस निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, उसमें श्रीलंका, बांग्लादेश और भूटान भी शामिल हैं। इस पद पर भारत की भूमिका वैश्विक आर्थिक नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण मानी जाती है।
आगे क्या?
फिलहाल, इस बात की प्रतीक्षा की जा रही है कि भारत सरकार IMF बोर्ड में डॉ. सुब्रमण्यन के स्थान पर किस नए प्रतिनिधि की नियुक्ति करती है। इस नियुक्ति को लेकर संभावित नामों पर चर्चा शुरू हो गई है, और जल्द ही औपचारिक घोषणा की उम्मीद है।
निष्कर्ष
डॉ. सुब्रमण्यन की अचानक सेवा समाप्ति ने राजनीतिक और आर्थिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। जहां एक ओर उनके समर्थक इस निर्णय को “अस्वाभाविक” और “राजनीतिक रूप से प्रेरित” बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार की चुप्पी कई सवालों को जन्म दे रही है।
देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर अब इस पर टिकी है कि भारत इस महत्वपूर्ण पद पर किसे नियुक्त करता है और क्या यह बदलाव भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति को प्रभावित करेगा।