छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित केजीएच पहाड़ियों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और अन्य सुरक्षाबलों द्वारा चलाया गया नक्सल विरोधी अभियान अब तक का सबसे बड़ा और चुनौतीपूर्ण अभियान माना जा रहा है। यह ऑपरेशन 21 अप्रैल से शुरू हुआ और 16 दिनों तक लगातार चला, जिसमें 26 कुख्यात नक्सलियों को मार गिराया गया।
इस ऑपरेशन में CRPF की विशेष इकाई कोबरा, छत्तीसगढ़ पुलिस की डीआरजी और एसटीएफ, तथा तेलंगाना पुलिस ने मिलकर भाग लिया। ड्रोन, हेलीकॉप्टर, और हाई-टेक तकनीक की मदद से सटीक लोकेशन चिन्हित की गई। अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को जंगल में गन फैक्ट्री, भारी मात्रा में हथियार, लिक्विड ब्लास्ट उपकरण और कई बंकर भी मिले।
CRPF DG का 18 दिन से मोर्चे पर डेरा
CRPF के महानिदेशक जीपी सिंह खुद पिछले 18 दिनों से अभियान स्थल के पास डटे रहे और जवानों का मनोबल बढ़ाया। यह क्षेत्र नक्सलियों के टॉप कैडर का गढ़ माना जाता रहा है, जिसे अब सुरक्षाबलों ने अपने कब्जे में ले लिया है।
IED ब्लास्ट में जांबाज कमांडर घायल
ऑपरेशन के दौरान कई जगहों पर नक्सलियों ने IED बिछा रखी थी। इसी दौरान कोबरा बटालियन के सहायक कमांडेंट सागर बोराडे एक घायल जवान को बचाने के दौरान दूसरे विस्फोट में गंभीर रूप से घायल हो गए। उनकी बहादुरी को ऑपरेशन का नायकत्व कहा जा रहा है।
नक्सल नेटवर्क टूटा, सरेंडर बढ़े
इस ऑपरेशन के बाद से क्षेत्र में नक्सली गतिविधियाँ लगभग ठप हो गई हैं। नई भर्ती रुक चुकी है और कई नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। अब वे सीधी भिड़ंत से बचते हुए IED के जरिए हमले की रणनीति अपना रहे हैं।