ठगी की बड़ी साजिश: बैंक लोन का झांसा देकर दो करोड़ से ज्यादा की ठगी
मधुबनी, बिहार – जिले के कृष्णापुरी यादव टोला में बैंक से ग्रुप लोन दिलाने के नाम पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। एक व्यक्ति, जिसने वर्षों से गांव में भरोसे का माहौल बना रखा था, करीब 100 से अधिक लोगों से लगभग ₹2 करोड़ की ठगी कर फरार हो गया।
रविवार को दर्जनों पीड़ितों ने आरोपी उमेश यादव के घर के बाहर हंगामा किया, जिसके बाद मधुबनी थाना पुलिस मौके पर पहुंची। थानाध्यक्ष सूरज प्रसाद ने बताया कि अभी तक थाने में कोई आधिकारिक शिकायत नहीं मिली है। आवेदन मिलने पर उचित जांच और कार्रवाई की जाएगी।
कैसे की गई ठगी?
स्थानीय लोगों के अनुसार, उमेश यादव पहले गांव-गांव घूमकर सूद पर पैसा देने का काम करता था और समाज में उसका एक विश्वसनीय चेहरा बन चुका था। इस आधार पर उसने बीते कुछ वर्षों में प्राइवेट बैंकों से ग्रुप लोन दिलाने का झांसा देना शुरू किया।
- महिलाओं को लोन दिलाने के बाद उनसे कहा जाता था कि वह बैंक को पैसा चुका देगा।
- वह लोन की आधी या पूरी रकम खुद रख लेता था और किश्तें नहीं भरता था।
- जब बैंक ने वसूली शुरू की, तो पीड़ितों को असली सच्चाई का पता चला।
सैकड़ों महिलाएं ठगी का शिकार, किश्तों के डर से सहमीं
उमेश यादव द्वारा सबसे अधिक ठगी की गई महिलाएं हैं, जो कर्ज चुकाने के डर से मानसिक तनाव में हैं।
कुछ प्रमुख मामलों में पीड़ितों का बयान:
- हसीना खातून (झुन्नी): ₹1.35 लाख
- शमसा खातून: ₹2 लाख
- बीबी हसीना: ₹1 लाख
- ललिता देवी: ₹2.50 लाख
- लड्डू राम (रामटोला): ₹1 लाख
- देवनंदन यादव एवं बहू: ₹4 लाख
- जुबेदा खातून व निशा खातून: ₹1 लाख
झुन्नी पंचायत के वार्ड 10 और 11 से 100 से ज्यादा महिलाएं इस तरह के फ्रॉड का शिकार हुई हैं।
बैंक का दबाव, आंदोलन की चेतावनी
अब जब लोन की किश्तें चुकाने का समय आया है, आरोपी उमेश यादव गायब हो गया है। उसका मोबाइल नंबर भी बंद है। बैंककर्मी किश्त वसूली के लिए गांव पहुंच रहे हैं, जिससे महिलाएं डर और तनाव में हैं।
पंचायत उपसरपंच मोहम्मद शौकत ने चेतावनी दी है कि यदि पीड़ितों का पैसा वापस नहीं किया गया, तो जन आंदोलन शुरू किया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष: विश्वास का गलत फायदा और व्यवस्था पर सवाल
यह मामला न सिर्फ एक आम ठगी है, बल्कि यह ग्रामीण समाज में विश्वास और जरूरतों के नाम पर धोखाधड़ी का गंभीर उदाहरण है। महिलाओं की स्थिति चिंता का विषय है और ऐसे मामलों में प्रशासन को तेज़ी से हस्तक्षेप कर पीड़ितों को न्याय देना चाहिए।