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भारतीय जनता पार्टी का जन्म

भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना 1980 में हुई थी, लेकिन इसका इतिहास भारतीय राजनीति में काफी पुराना है। इसे भारतीय जनसंघ से जोड़ा जा सकता है, जिसे 1951 में पं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने स्थापित किया था। BJP का उदय भारतीय राजनीति की उस अवस्था में हुआ, जब देश में कांग्रेस के एकाधिकार को चुनौती देने वाली विचारधाराओं की आवश्यकता महसूस हो रही थी। इस लेख में हम BJP के जन्म, उसकी विचारधारा और ‘गांधीवादी समाजवाद’ को समझेंगे।

भारतीय जनसंघ और इसके आदर्श

1951 में पं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की। उनका मानना था कि भारतीय समाज को एक ऐसी पार्टी की आवश्यकता है जो उसकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को मजबूत करे। जनसंघ का उद्देश्य था हिंदू समाज को एकजुट करना और भारतीय राजनीति में हिंदुत्व का विचार प्रस्तुत करना। पं. मुखर्जी ने इसे ‘राष्ट्रवाद’ के रूप में परिभाषित किया, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ा था।

भारतीय जनता पार्टी का गठन

1977 में जनता पार्टी का गठन हुआ, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों ने गठबंधन किया था। भारतीय जनसंघ भी इसमें शामिल था। इस गठबंधन ने इंदिरा गांधी की सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया और मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाया। हालांकि, यह गठबंधन ज्यादा समय तक नहीं टिक सका और 1979 में टूट गया। इस राजनीतिक अस्थिरता के बाद, 1980 में भारतीय जनसंघ के समर्थकों ने एक नई पार्टी—भारतीय जनता पार्टी (BJP)—का गठन किया।

BJP ने अपने जन्म के समय ‘गांधीवादी समाजवाद’ को अपनाया, जो महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित था। इस विचारधारा में भारतीय समाज को एकता, समानता और समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शन देने की कोशिश की गई।

गांधीवादी समाजवाद की अवधारणा

BJP ने महात्मा गांधी के विचारों को अपने राजनीतिक दर्शन का हिस्सा बनाते हुए ‘गांधीवादी समाजवाद’ को अपनाया। गांधी का समाजवाद एक ऐसा समाज बनाने की सोच था, जहां समानता, न्याय और हर व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जाए। इसके मुख्य सिद्धांत थे:

  1. ग्रामोदय: गांधी का मानना था कि असली भारत गांवों में बसा है, और इसलिए उनका विकास प्राथमिकता होनी चाहिए। BJP ने इसे अपने एजेंडे में शामिल किया, और ग्राम आधारित विकास की दिशा में काम किया।
  2. सामाजिक समानता: गांधीवादी समाजवाद का उद्देश्य था समाज के सभी वर्गों के बीच समानता को बढ़ावा देना। BJP ने इस विचार को अपनाया और अपनी नीतियों में समाज के पिछड़े वर्गों के लिए योजनाएं बनाई।
  3. आध्यात्मिक दृष्टिकोण: गांधी ने आत्मनिर्भरता की बात की थी, और BJP ने इसे अपनी विचारधारा में समाहित किया। यह आत्मनिर्भरता न केवल आर्थिक थी, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी थी।
  4. धार्मिक सहिष्णुता: गांधी ने हमेशा धार्मिक एकता और सहिष्णुता की बात की थी। BJP ने इस विचार को अपने सिद्धांत में सम्मिलित किया, हालांकि पार्टी का रुख हिंदू राष्ट्रवाद को लेकर स्पष्ट था, लेकिन गांधीवादी दृष्टिकोण में सभी धर्मों की समानता पर जोर दिया गया।

पार्टी का विकास और राष्ट्रीय राजनीति में स्थान

भारतीय जनता पार्टी ने धीरे-धीरे भारतीय राजनीति में अपनी पहचान बनाई। 1980 के दशक में, BJP ने उत्तर भारत में अपनी स्थिति मजबूत की। 1989 में पार्टी ने जनतंत्र की बात की और कांग्रेस के खिलाफ मजबूती से खड़ी हुई। 1990 के दशक में, BJP ने अपने प्रभाव को और बढ़ाया और 1996 में पहली बार केंद्र में सरकार बनाई। हालांकि, यह सरकार केवल 13 दिनों तक चल सकी, लेकिन 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पार्टी ने फिर से सत्ता में कदम रखा और भारतीय राजनीति में अपनी अहम भूमिका बनाई।

निष्कर्ष

भारतीय जनता पार्टी का जन्म भारतीय राजनीति में एक नए दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने के लिए हुआ था, जो भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व और समाजवाद को एक साथ लाने का प्रयास करता था। पार्टी ने महात्मा गांधी के ‘गांधीवादी समाजवाद’ को अपनाकर यह सुनिश्चित किया कि समाज के हर वर्ग को समान अवसर मिले और देश का विकास हर स्तर पर हो। आज BJP भारतीय राजनीति का एक प्रमुख और प्रभावशाली दल है, जो अपनी विचारधारा और नेतृत्व के कारण देश की दिशा तय करने में सक्षम है।


By S GUPTA

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