भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ते तनाव और हालिया ड्रोन हमलों के बाद केंद्र सरकार ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। केंद्र ने भारतीय सेना प्रमुख को विशेष शक्तियाँ प्रदान की हैं, जिसके अंतर्गत वे टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) के अधिकारियों और जवानों को आवश्यकता अनुसार तैनात कर सकते हैं। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद अहम माना जा रहा है।

🛡️ टेरिटोरियल आर्मी को तैयार रहने का आदेश

सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, सेना प्रमुख को यह अधिकार प्रादेशिक सेना नियम 1948 के नियम 33 के तहत दिए गए हैं। इन शक्तियों का उद्देश्य टेरिटोरियल आर्मी को नियमित सेना की सहायता में तैनात करना है, विशेषकर जब हालात युद्ध जैसे बन जाएं।

वहीं, कई रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों ने सेना प्रमुख को पत्र लिखकर स्वेच्छा से एक्टिव ड्यूटी में शामिल होने की इच्छा जताई है। यह देशभक्ति की एक मिसाल है और यह बताता है कि हमारी सेना हर आपात स्थिति के लिए तत्पर है।

🪖 क्या है टेरिटोरियल आर्मी?

टेरिटोरियल आर्मी एक अर्धसैनिक बल है जो सामान्य नागरिकों को देश सेवा का मौका देती है। इसमें वे लोग शामिल होते हैं जो अपनी रोज़मर्रा की नौकरी या व्यवसाय के साथ-साथ राष्ट्र की सुरक्षा में योगदान देना चाहते हैं। यह एक पार्ट-टाइम बल होता है जिसे केवल विशेष परिस्थितियों जैसे युद्ध, आपदा, या आंतरिक सुरक्षा के समय एक्टिव किया जाता है।

🏗️ संरचना और संगठन

प्रादेशिक सेना में विभिन्न विभाग और इकाइयाँ होती हैं:

  • इन्फैंट्री बटालियन (Infantry Battalion)
  • इकोलॉजिकल टास्क फोर्स (Ecological Task Force)
  • रेलवे इंजीनियर रेजिमेंट (Railway Engineer Regiment)
  • सिग्नल्स, इंजीनियरिंग और रसद विभाग (Logistics)

इन सभी का उद्देश्य विभिन्न सैन्य और असैन्य परिस्थितियों में सहयोग देना होता है।


🪖 भर्ती प्रक्रिया

  • आयु सीमा: 18 से 42 वर्ष
  • योग्यता: शारीरिक और मानसिक रूप से फिट नागरिक
  • लिंग: पुरुष और महिलाएं दोनों
  • प्रकृति: स्वैच्छिक (Volunteer)

🧭 प्रशिक्षण

प्रादेशिक सेना के जवानों को नियमित सेना के समकक्ष प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें शामिल हैं:

  • हथियार संचालन
  • युद्ध रणनीति
  • आपदा प्रबंधन
  • क्षेत्रीय सुरक्षा

📜 अब तक की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ

  • 1962, 1965, 1971 और 1999 के युद्धों में तैनाती
  • आतंकवाद विरोधी अभियान
  • प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़, भूकंप) में राहत कार्य
  • पर्यावरण संरक्षण: वृक्षारोपण एवं जल संरक्षण में योगदान

🧨 हालिया घटनाक्रम: ऑपरेशन सिंदूर और नई तैनाती

  • ऑपरेशन सिंदूर: टेरिटोरियल आर्मी को हाल ही में इस ऑपरेशन के तहत तैनाती के लिए तैयार रहने का आदेश दिया गया है।
  • आपदा प्रबंधन में भूमिका: बाढ़, भूकंप और अन्य आपदाओं में सेना के साथ मिलकर राहत कार्य किए हैं।
  • इकोलॉजिकल टास्क फोर्स: पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय योगदान देती है।

🧠 केंद्र सरकार के फैसले का रणनीतिक महत्व

हाल में भारत-पाकिस्तान तनाव और ड्रोन हमलों के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा सेना प्रमुख को प्रादेशिक सेना तैनात करने के विशेष अधिकार दिए गए हैं। यह निर्णय कई दृष्टिकोणों से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है:

1. रणनीतिक क्षेत्रों में मजबूती

  • नियंत्रण रेखा (LoC), सियाचिन, और अन्य संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों की क्षमता बढ़ेगी।
  • आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहयोग मिलेगा।

2. नागरिक-सेना एकीकरण

  • यह मॉडल नागरिकों को सेना से जोड़ता है, जिससे राष्ट्र की सुरक्षा में जनभागीदारी बढ़ती है।
  • देशभक्ति और जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहन मिलता है।

🔍 निष्कर्ष

मोदी सरकार का यह निर्णय साफ संकेत देता है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा। टेरिटोरियल आर्मी की सक्रियता और सेना प्रमुख को मिले विशेष अधिकार आने वाले समय में भारत की रणनीतिक तैयारियों को और मज़बूत करेंगे।

By S GUPTA

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *