मासूमियत पर जमीनी लालच भारी: 5 साल के गोलू की हत्या से कांपा बिहार
बिहार के बेगूसराय जिले से दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जहां जमीन विवाद की वजह से एक 5 साल के मासूम बच्चे की बेरहमी से हत्या कर दी गई। यह वारदात चकबल्ली गांव, वार्ड नंबर-14 की है, जो रिफाइनरी थाना क्षेत्र में आता है।
मृतक बच्चे की पहचान अनमोल सिंह के बेटे गोलू कुमार के रूप में हुई है। गोलू अपने मासूम बचपन में महज़ 10 रुपए लेकर बिस्किट खरीदने घर से निकला था, लेकिन वह वापस नहीं लौटा। पड़ोसियों के पारिवारिक झगड़े और पहले से मिल रही धमकियों ने इस मासूम की जान ले ली।
घर में खींचकर नुकीली चीज़ से हमला, और फिर मां के सामने शव
परिजनों के मुताबिक, जब गोलू बिस्किट लेने निकला, तभी बालकृष्ण सिंह के परिवार वालों ने उसे अपने घर में खींच लिया और सिर पर नुकीली चीज़ से वार करके उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद आरोपी ने बच्चे का शव उसकी मां की गोद में डालते हुए कहा—
“लो, तुम्हारा बेटा मर गया।”
यह बयान पूरे गांव में गूंज उठा और मातम का माहौल बन गया। घटना के बाद ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। गांव में तनाव व्याप्त है और स्थानीय पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी है।
पहले से मिल रही थीं धमकियां
परिजनों का दावा है कि आरोपी पक्ष जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद कर रहा था और धमकियां भी दे रहा था। यह घटना दर्शाती है कि छोटे-छोटे जमीनी झगड़े किस हद तक खतरनाक बन सकते हैं, जब प्रशासन और समाज समय पर हस्तक्षेप नहीं करते।
क्या अब भी कोई मासूम सुरक्षित है?
इस घटना ने एक बार फिर बिहार में कानून व्यवस्था और सामाजिक असंवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मासूम बच्चों तक को नहीं बख्शा जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है—क्या अब बच्चों की भी कोई सुरक्षा गारंटी नहीं बची है?
निष्कर्ष:
बेगूसराय की यह घटना सिर्फ एक बच्चे की मौत नहीं, बल्कि इंसानियत की हार है। यह दर्शाता है कि जब समाज में संवेदना कम हो जाती है और जमीन-जायदाद जैसे मुद्दे रिश्तों और ज़िंदगियों से ऊपर हो जाते हैं, तब यही अंजाम होता है। ज़रूरत है क़ानूनी कड़ी कार्रवाई की और साथ ही सामाजिक स्तर पर चेतना और जागरूकता फैलाने की, ताकि किसी और गोलू की मासूम जान इस तरह से न ली जा सके।