भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि बिहार में 2025 में मानसून समय से पहले पहुंच सकता है। हालांकि गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन बारिश का असमान वितरण राज्य की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय बन सकता है।

समय से पहले मानसून की दस्तक

IMD के पूर्वानुमान के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई 2025 को केरल पहुंचेगा, जो सामान्य तिथि से पांच दिन पहले है। इसका मतलब है कि बिहार में मानसून 12 जून से 15 जून के बीच पहुंचने की संभावना है, जबकि आमतौर पर यह मध्य जून में आता है।

पिछले वर्षों की तरह, बिहार में बारिश की मात्रा में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता रहा है। इस बार भी मानसून के समय से पहले आने की संभावना है, लेकिन इसकी स्थिरता को लेकर सवाल बरकरार हैं।

बिहार में असमान बारिश का अनुमान

देशभर में औसत से अधिक बारिश का पूर्वानुमान है, लेकिन बिहार उन कुछ राज्यों में शामिल है जहां औसत से कम वर्षा होने की संभावना जताई गई है। पूर्वी भारत में बारिश की कमी को लेकर विशेष चेतावनी दी गई है, जिसमें बिहार का नाम प्रमुखता से लिया गया है।

इस असमान बारिश से फसल चक्र प्रभावित हो सकता है और खाद्य सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है।

भीषण गर्मी से बेहाल बिहार

मई के मध्य तक बिहार भीषण लू की चपेट में है। राज्य के कई जिलों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच चुका है। मौसम विभाग ने उत्तर और मध्य बिहार के लिए हीटवेव अलर्ट जारी किया है।

हालांकि, आंशिक राहत के लिए प्री-मानसून बारिश, आंधी-तूफान और तेज हवाओं की संभावना जताई गई है।

कृषि पर मंडरा रहा है संकट

बिहार की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। खासकर धान, मक्का जैसी खरीफ फसलों की बुआई मानसून पर निर्भर करती है। राज्य की करीब 75% आबादी कृषि से जुड़ी हुई है। ऐसे में बारिश में कमी से निम्न समस्याएं हो सकती हैं:

फसलों की बुवाई में देरी

सिंचाई योजनाओं में रुकावट

फसल उत्पादन में गिरावट

कम बारिश का असर सिर्फ किसानों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि स्थानीय बाजार, खाद्य कीमतों और रोजगार पर भी सीधा असर डालता है।

आगे की रणनीति : सतर्कता और तैयारी जरूरी

हालांकि समय से पहले मानसून आने की उम्मीद है, लेकिन बारिश की अनिश्चितता को लेकर सावधानी बरतना आवश्यक है। मौसम विभाग और प्रशासन ने किसानों और स्थानीय निकायों को सलाह दी है कि:

मौसम विभाग की आधिकारिक जानकारी पर नजर रखें।

सिंचाई के वैकल्पिक इंतजाम समय रहते तैयार करें।

भूजल और जलाशयों के स्तर की लगातार निगरानी करें।

विशेषज्ञों का मानना है कि केवल पूर्वानुमानों पर निर्भर न रहकर जलवायु बदलाव के प्रति लचीलापन विकसित करना जरूरी है।

क्या आप जानते हैं?

2022 में बिहार में 25% कम बारिश दर्ज की गई थी, जिससे 4.5 मिलियन (45 लाख) किसान प्रभावित हुए थे। कुछ जिलों में फसलों का नुकसान 40% तक पहुंच गया था।

मुख्य बातें संक्षेप में

बिहार में 12 से 15 जून के बीच मानसून के समय से पहले पहुंचने की संभावना।

राज्य में औसत से कम वर्षा का पूर्वानुमान, जिससे कृषि संकट की आशंका।

फिलहाल तापमान 40 डिग्री से ऊपर, हीटवेव अलर्ट जारी।

किसानों को मौसम की अनिश्चितता के लिए तैयार रहने की सलाह।

प्रशासन और जल संसाधन विभागों को आपातकालीन योजनाएं तैयार करने के निर्देश।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

  1. बिहार में मानसून कब पहुंचेगा 2025 में?
    12 से 15 जून के बीच मानसून के दस्तक देने की संभावना है, जो सामान्य तिथि से थोड़ा पहले है।
  2. क्या बिहार में इस साल पर्याप्त बारिश होगी?
    IMD के पूर्वानुमान के अनुसार, बिहार में औसत से कम बारिश होने की आशंका है, जबकि देश के अन्य हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान है।
  3. वर्तमान में बिहार का मौसम कैसा है?
    मई के मध्य में बिहार भीषण लू की चपेट में है, तापमान 40 डिग्री से अधिक है। हालांकि प्री-मानसून की हल्की बारिश और आंधी की संभावना है।
  4. मानसून कमजोर रहने पर किन फसलों पर असर पड़ेगा?
    धान, मक्का और दालों जैसी खरीफ फसलों की पैदावार पर सीधा असर पड़ सकता है।
  5. किसानों को कैसे तैयारी करनी चाहिए?
    किसानों को मौसम विभाग की जानकारी पर नजर रखते हुए सिंचाई और जल संचयन की वैकल्पिक योजनाएं तैयार करनी चाहिए।

By S GUPTA

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