बिहार शिक्षकों को राहत: पहले वेतन, महिला शिक्षकों के लिए विशेष ट्रांसफर नीति
बिहार शिक्षा विभाग ने राज्य के शिक्षकों के लिए कई अहम घोषणाएं की हैं जो सीधे तौर पर उनके हित में हैं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने “शिक्षा की बात – हर शनिवार” कार्यक्रम के 13वें एपिसोड में इन घोषणाओं को साझा किया। उन्होंने साफ किया कि अब शिक्षकों को सबसे पहले वेतन मिलेगा, और जब तक उनका भुगतान नहीं होगा, अधिकारियों को वेतन नहीं मिलेगा। यह निर्णय शिक्षकों की लगातार मिल रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
TRE-3 शिक्षकों की पोस्टिंग तीन चरणों में
डॉ. सिद्धार्थ ने जानकारी दी कि TRE-3 के तहत चयनित शिक्षकों की पोस्टिंग प्रक्रिया 5 मई से शुरू होगी और तीन चरणों में पूरी की जाएगी।
- पहला चरण (रविवार, 5 मई): 11 जिलों के शिक्षकों के पोस्टिंग ऑर्डर जारी होंगे।
- दूसरा चरण (सोमवार, 6 मई): अगले 11 जिलों के पोस्टिंग ऑर्डर आएंगे।
- तीसरा चरण (मंगलवार, 7 मई): शेष जिलों के पोस्टिंग ऑर्डर जारी किए जाएंगे।
सभी शिक्षकों को 15 मई 2025 तक स्कूल में योगदान करना अनिवार्य होगा।
TRE-1 और TRE-2 महिला शिक्षकों के ट्रांसफर पर विशेष ध्यान
महिला शिक्षकों को विशेष राहत देते हुए, डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि TRE-1 और TRE-2 के अंतर्गत कार्यरत महिला शिक्षकों के लिए दूरी आधारित स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। यह प्रक्रिया अगले सप्ताह से ई-शिक्षा कोष पोर्टल के माध्यम से संचालित होगी।
शिक्षक के पत्र ने हिलाया सिस्टम, अब अधिकारियों की जवाबदेही तय
कार्यक्रम में डॉ. सिद्धार्थ ने एक ऐसे पत्र का उल्लेख किया जिसे एक शिक्षक ने अत्यंत पीड़ा के साथ लिखा था। पत्र में वेतन देरी, रिश्वत, और डीईओ/डीपीओ के दुर्व्यवहार जैसे गंभीर मुद्दों की ओर ध्यान खींचा गया था। इस पत्र से प्रभावित होकर उन्होंने यह सख्त निर्देश दिया कि यदि किसी शिक्षक का वेतन रोका गया या कोई प्रताड़ना की गई, तो संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
ई-शिक्षा कोष पोर्टल से पारदर्शिता बढ़ेगी
शिक्षा विभाग ने हाल ही में अपने ई-शिक्षा कोष पोर्टल को बेहतर बनाया है और अब इसमें कुल 11 मॉड्यूल जोड़े गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- वेतन भुगतान
- स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर की निगरानी
- शिक्षक उपस्थिति रिकॉर्ड
- शिकायत निवारण
- अवकाश प्रबंधन (ईएल/सीएल/मातृत्व अवकाश)
डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि वे स्वयं हर सुबह और शाम इस पोर्टल की निगरानी करते हैं। उन्होंने कहा कि अब किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मध्याह्न भोजन का पायलट प्रोजेक्ट
मध्याह्न भोजन योजना को लेकर एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है, जिसमें प्रधानाचार्य की भूमिका को केंद्र में रखते हुए स्कूल की गतिविधियों पर निगरानी और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की बात कही गई है।
सीधे संवाद की पहल: शिक्षक की आवाज बनी नीति
कार्यक्रम के अंत में डॉ. सिद्धार्थ ने फिर दोहराया कि उस शिक्षक के पत्र ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया है और यह सबके लिए एक सीख है। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि शिक्षक की बातों को गंभीरता से लिया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि शिक्षक अपने अधिकतम समय का उपयोग स्कूल में शैक्षणिक गतिविधियों के लिए करें।
कौन हैं डॉ. एस. सिद्धार्थ?
डॉ. एस. सिद्धार्थ एक प्रतिष्ठित और बहुआयामी व्यक्तित्व हैं, जो प्रशासनिक दक्षता, शैक्षणिक योग्यता और तकनीकी विशेषज्ञता के दुर्लभ संगम का प्रतीक माने जाते हैं। वे 1991 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं और वर्तमान समय में बिहार के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में कार्यरत हैं। इसके साथ ही वे शिक्षा विभाग और कैबिनेट सचिवालय के अपर मुख्य सचिव के पदभार भी संभाल रहे हैं।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि:
डॉ. सिद्धार्थ का शैक्षणिक सफर बेहद प्रभावशाली रहा है:
- उन्होंने IIT दिल्ली से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- इसके बाद उन्होंने IIT दिल्ली से ही सूचना प्रौद्योगिकी में डॉक्टरेट (PhD) किया।
- फिर उन्होंने IIM अहमदाबाद से MBA की डिग्री प्राप्त की, जो देश के सबसे प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थानों में से एक है।
- वर्तमान में वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से अर्थशास्त्र में अपनी दूसरी पीएचडी कर रहे हैं, जो उनके ज्ञान और शोध के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
प्रशासनिक भूमिका और योगदान:
डॉ. एस. सिद्धार्थ को बिहार प्रशासन में एक कठोर लेकिन संवेदनशील अधिकारी के रूप में जाना जाता है। शिक्षा विभाग में उनके नेतृत्व में कई सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं, जिनमें पारदर्शी वेतन प्रणाली, ऑनलाइन ट्रांसफर नीति, और ई-शिक्षा कोष जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म की निगरानी शामिल है। उनका मानना है कि शिक्षा और प्रशासन दोनों में पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है, और यही कारण है कि वे प्रतिदिन सुबह और शाम स्वयं सिस्टम की निगरानी करते हैं।
सेवाकाल और सेवानिवृत्ति:
डॉ. सिद्धार्थ 30 नवंबर, 2025 को प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले हैं, लेकिन उनके कार्यकाल को बिहार की नौकरशाही में एक दृढ़ नेतृत्व और नवाचार के युग के रूप में याद किया जाएगा।