साहित्य

‘अनूठी हमारी संस्कृति, संस्कृत की लाडली हिंदी’ : हिंदी दिवस पर विशेष

संगीता श्रीवास्तव अनूठी हमारी संस्कृति,संस्कृत की लाडली हिंदी।प्रतिबिंब संस्कारों का,जनमानस की आवाज हिंदी।मनोरम, मीठी, कोमल,मीत है सबकी हिंदी।लोक के इतिहास…

‘शिक्षक’ : शिक्षक दिवस पर कवयित्री संगीता श्रीवास्तव की एक कविता

शिल्पकार समाज के शिक्षक,विकास के आधार हैं शिक्षक।जीवन गढ़ने वाला शिक्षक,अनुशासन प्रेम का संगम शिक्षक। समय बदला, आया जब कोरोना,विधि…

प्रेमचंद : कलम का सिपाही

लेखिका : संगीता श्रीवास्तव कलम का सिपाही,वतन से वफा सिखा गया,देशप्रेम का दीपक,दिलों में तू जगा गया।ऊंच-नीच, जाति-धर्म पर,अंग्रेजों ने…

फरक

विनय तिवारी तोर दंगरल साधकि एगो फ्लैट किनब,संगमरमर टाइल्स लागलसहरें,हामर जउरतेक हिंछा जे हामेंबनवब एगो माटिक घार!जे चुवत नांय बइरसाइंबंचवे पारत जे…

कोरोना का कहर

विनय तिवारी एक बार, बस एक बारप्लीज़, खिड़की खोलने दोबहुत दिन हो गए,मन नहीं लग रहा हैसच कहता हूँ जानेमनतुम्हारी कसम,…

झारखंड के माटी

विनय तिवारीखोरठा गीतकार झारखंड के माटी दादा, पूजे के समान रेझारखंड राइज हामर देसेक सान रेदेसेक सान… ऐ दादा… देसेक…