नई दिल्ली – देश में एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की पारदर्शिता को लेकर बहस तेज हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में हरियाणा उपचुनाव के बाद कुछ EVM मशीनों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने इस मुद्दे को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग की चुप्पी पर सवाल खड़े किए हैं।
कांग्रेस का आरोप: पारदर्शिता पर संकट
रणदीप सुरजेवाला ने अपने बयान में कहा:
कुछ मशीनों में बैटरी लेवल और समय से जुड़े तकनीकी असंगतियों ने चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब देश का लोकतंत्र दांव पर हो, तब सरकार और चुनाव आयोग की चुप्पी बेहद चिंताजनक है।”
कांग्रेस ने इन विसंगतियों की जांच के लिए एक तकनीकी समिति के गठन की मांग की है और साथ ही पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए जाने पर जोर दिया है।
तुलसी गबार्ड का बयान – और फैलती अफवाहें
इसी बीच सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज हो गई कि अमेरिका की पूर्व सांसद तुलसी गबार्ड ने भारत की EVM प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। हालांकि, इस दावे की कोई पुष्टि नहीं हुई। जांच से यह स्पष्ट हुआ कि तुलसी गबार्ड ने केवल अमेरिका की वोटिंग मशीनों पर चिंता जताई थी, जो इंटरनेट या नेटवर्क से जुड़ी होती हैं और साइबर हमलों के खतरे में होती हैं।
तथ्य: तुलसी गबार्ड ने भारत की EVM के बारे में कोई भी बयान नहीं दिया है। उन्होंने केवल अमेरिका की चुनाव प्रणाली की आलोचना की थी।
चुनाव आयोग की सफाई
इन अफवाहों के बाद भारत के चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि भारत में इस्तेमाल होने वाली EVM पूरी तरह से standalone प्रणाली पर काम करती हैं — यानी वे किसी भी नेटवर्क या इंटरनेट से जुड़ी नहीं होतीं, जिससे उनका हैक होना संभव नहीं है।
चुनाव आयोग ने कहा:
भारतीय EVM में न तो वायरलेस डिवाइस होता है, न ही कोई सॉफ्टवेयर जिसे रिमोट से बदला जा सके। भारत की वोटिंग प्रक्रिया सुरक्षित और मजबूत है।”
वास्तविक चिंता या सियासी रणनीति?
तुलसी गबार्ड ने भारत की EVM पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
कांग्रेस के आरोपों और तुलसी गबार्ड के अमेरिकी संदर्भ को जोड़कर सोशल मीडिया पर कई भ्रमित करने वाली बातें फैलाई गईं, लेकिन जब तथ्यों की गहराई से जांच की गई तो ये स्पष्ट हुआ कि दोनों घटनाओं का कोई आपसी संबंध नहीं है। फिर भी, EVM की पारदर्शिता को लेकर जनता के बीच विश्वास को बनाए रखना जरूरी है, और यही कारण है कि ऐसे मुद्दों पर चुनाव आयोग की सक्रियता और पारदर्शिता सबसे अहम बन जाती है।
निष्कर्ष:
तुलसी गबार्ड ने भारत की EVM पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
कांग्रेस ने हरियाणा उपचुनाव में तकनीकी असमानताओं को लेकर सवाल उठाए हैं।
चुनाव आयोग का कहना है कि भारतीय EVMs सुरक्षित हैं और किसी नेटवर्क से नहीं जुड़ी होतीं।
इस पूरी बहस में सच्चाई और अफवाहों के बीच अंतर करना जरूरी है।