नई दिल्ली, अप्रैल 2025 — दुनिया भर में जहां एक ओर आर्थिक अनिश्चितता और मंदी का खतरा मंडरा रहा है, वहीं भारत एक बार फिर उम्मीद की किरण बनकर उभरा है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास संगठन (UNCTAD) की नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्ष 2025 में 6.5% की दर से वृद्धि करेगा, और इसी के साथ वह विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।

📉 वैश्विक मंदी, लेकिन भारत में स्थिरता

UNCTAD ने चेतावनी दी है कि वर्ष 2025 में वैश्विक विकास दर घटकर 2.3% रह सकती है। यह गिरावट आर्थिक मंदी का संकेत देती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया भर में नीतिगत अस्थिरता, व्यापार में अवरोध और कर्ज़ संकट जैसे कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं।

लेकिन इन सबके बीच भारत एक स्थिर और भरोसेमंद अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है।

📈 भारत की मजबूती के कारण

भारत की ग्रोथ का यह अनुमान भले ही 2024 की अनुमानित 6.9% वृद्धि से थोड़ा कम हो, लेकिन इसकी ठोस नींव बनी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की ग्रोथ को आगे बढ़ाने में तीन मुख्य कारक अहम भूमिका निभा रहे हैं:

  1. मजबूत सरकारी खर्च – सरकार की ओर से बुनियादी ढांचे और कल्याणकारी योजनाओं में लगातार निवेश।
  2. मौद्रिक सहजता – भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती से कर्ज सस्ता हुआ, जिससे उपभोग और निवेश को बल मिला।
  3. घरेलू मांग में मजबूती – उपभोक्ता विश्वास और निजी निवेश में निरंतर सुधार।

🌏 दक्षिण एशिया का प्रदर्शन

UNCTAD का यह भी अनुमान है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र की विकास दर 2025 में 5.6% रहेगी। हालांकि, रिपोर्ट यह भी चेतावनी देती है कि खाद्य मूल्य अस्थिरता और जटिल ऋण स्थितियां कुछ देशों – जैसे बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका – के लिए बड़ी चुनौती बनी रहेंगी।

🔎 वैश्विक व्यापार पर दबाव

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक व्यापार पर भी असर पड़ा है। टैरिफ उपायों और नीतिगत अनिश्चितता के कारण सप्लाई चेन बाधित हुई है, और इससे व्यापार में धीमापन देखा गया है। निवेशकों में भी हिचकिचाहट बढ़ी है, जिससे नौकरियों और उत्पादन पर असर पड़ सकता है।


✅ निष्कर्ष:

दुनिया मंदी की ओर बढ़ रही है, लेकिन भारत अपनी समझदारी भरी नीतियों, आर्थिक स्थिरता और मजबूत घरेलू मांग के कारण वैश्विक मंच पर एक रोशनी की किरण बना हुआ है। अगर यह रफ्तार बनी रही, तो 2025 भारत के लिए केवल एक और ग्रोथ ईयर नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक आर्थिक उपलब्धि का वर्ष बन सकता है।

By S GUPTA

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