रांची. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिना पर्यावरण स्वीकृति के निर्मित झारखंड उच्च न्यायालय, विधानसभा और अन्य भवनों को नियम विरुद्ध बताते हुए भारी जुर्माना लगाया है. एनजीटी ने कुल 113 करोड़ का जुर्माना लगाया है. जुर्माने की यह राशि उच्च न्यायालय भवन को लेकर 66 करोड़ और नए विधानसभा भवन को लेकर 47 करोड़ रुपये है. याद रहे कि पिछले साल झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले अधूरे विधानसभा भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इस बीच झारखंड के सरकारी भवनों पर एनजीटी के जुर्माने के बाद राजनीति गर्मा गयी है.

एनजीटी की कार्रवाई से झारखंड की राजनीति गर्मायी

भाजपा के रघुवर दास के शासन में हुआ था निर्माण

क्या बोले राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एनजीटी की ओर से नवनिर्मित झारखंड उच्च न्यायालय भवन और विधानसभा भवन पर करोड़ों रुपये अर्थदंड लगाये जाने को लेकर कहा कि पूरे मामले का आकलन करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जायेगा. श्री सोरेन ने कहा कि उच्च न्यायालय भवन और विधानसभा के नये भवन को लेकर एनजीटी का जो आदेश आया है, इसकी जानकारी उन्हें मीडिया के माध्यम से मिली है. उन्होंने कहा कि जब फाइल में उनके पास सारी चीजें आयेगी, तब वे देखेंगे. आकलन होगा और सरकार क्या निर्णय लेती है, यह बता पायेंगे.

सरयू राय ने पूछा, कौन भरेगा जुर्माना

जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने ट्वीट कर कहा कि झारखंड में पर्यावरण स्वीकृति के बिना बने उच्च न्यायालय, विधानसभा, अन्य भवनों पर एनजीटी ने भारी जुर्माना लगाया है. उन्होंने पूछा है कि उच्च न्यायालय भवन पर 66 करोड़ रुपये और विधानसभा भवन पर लगा 47 करोड़ रुपये का जुर्माना कौन देगा? इन भवनों का निर्माण करने वाली एजेंसी, गलती करने वाले सरकारी अधिकारी या जनता के टैक्स से बना सरकार का राजकोष?

श्री राय ने ट्वीट कर जानकारी दी कि एनजीटी के आदेश के तहत जुर्माना के साथ ही बिना पर्यावरण स्वीकृति के भवन बनाने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत आपराधिक मुकदमा भी दर्ज होगा. उन्होंने कहा कि निर्माणाधीन भवनों के निर्माण पर रोक रहेगी.

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