लेखिका : संगीता श्रीवास्तव
कलम का सिपाही,
वतन से वफा सिखा गया,
देशप्रेम का दीपक,
दिलों में तू जगा गया।
ऊंच-नीच, जाति-धर्म पर,
अंग्रेजों ने हमें सताया,
उनकी चाल की सच्चाई,
कहानियों से तू बता गया।
धनपत राय से प्रेमचंद बनकर,
जागरूक हमें तू बना गया,
वाराणसी में जन्मा सिपाही,
कलम का जादू तू चला गया।
सेवासदन, गबन, गोदान
हमारे हाथों में, तू थमा गया,
अशिक्षा, अंधभक्ति है कमजोरी,
ये हमें तू बता गया।
कलम का सिपाही नमन तुम्हें,
साहित्य की गंगा बहा गया,
श्रद्धा सुमन अर्पित तुमको,
तूने मुक्तिमार्ग दिखा दिया।
संगीता श्रीवास्तव धनबाद के क्रीडो इंटरनेशनल स्कूल में हिंदी की शिक्षिका हैं.