खास रिपोर्ट |
भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में वक्फ बोर्ड एक ऐसा संस्थान है जिसका संबंध धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक पहलुओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। इसकी जड़ें भारत की आज़ादी से पहले के दौर से जुड़ी हुई हैं, लेकिन इसकी गूंज आज के राजनीतिक और सामाजिक विमर्श में भी साफ सुनी जाती है।
वक्फ (Waqf) क्या है?
‘वक्फ’ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है – “रोक देना” या “अर्पित कर देना”। इस्लामी परंपरा में जब कोई मुसलमान अपनी चल-अचल संपत्ति को धार्मिक, सामाजिक या परोपकारी उद्देश्य के लिए स्थायी रूप से दान कर देता है, तो वह संपत्ति ‘वक्फ’ कहलाती है। यह संपत्ति अब व्यक्तिगत नहीं रहती बल्कि समुदाय और धर्म की सेवा के लिए समर्पित हो जाती है।
वक्फ का उद्देश्य:
मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसा, स्कूल या अस्पताल जैसी संस्थाओं की स्थापना और देखभाल।
ग़रीबों, अनाथों और ज़रूरतमंदों की सहायता।
इस्लामिक धार्मिक गतिविधियों को समर्थन देना।
इतिहास: वक्फ बोर्ड की नींव कब और कैसे रखी गई?
अंग्रेज़ी हुकूमत में शुरुआत:
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वक्फ संपत्तियों की देखरेख में अनियमितताएं और विवाद सामने आने लगे। इसे नियंत्रित करने के लिए अंग्रेजों ने कुछ कानून बनाए। लेकिन इस व्यवस्था को संगठित रूप से संचालित करने के लिए सबसे बड़ा कदम बाद में उठाया गया।
1939: पहला वक्फ कानून
ब्रिटिश भारत में पहला “Mussalman Waqf Validating Act” 1913 में आया, और फिर 1939 में इसे व्यापक रूप से स्वीकारा गया।
स्वतंत्र भारत में वक्फ व्यवस्था:
1954: केंद्रीय वक्फ अधिनियम
भारत सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रशासन के लिए “Waqf Act, 1954” पास किया। इसके तहत राज्य वक्फ बोर्ड बनाए गए।
1995: संशोधित वक्फ अधिनियम
बाद में इसे और प्रभावशाली बनाने के लिए “Waqf Act, 1995” लागू हुआ, जिसके तहत Central Waqf Council की स्थापना की गई, जो सभी राज्य वक्फ बोर्डों की निगरानी करता है।
वक्फ बोर्ड कहाँ-कहाँ हैं?
भारत के लगभग हर राज्य में एक राज्य वक्फ बोर्ड है, जैसे:
दिल्ली वक्फ बोर्ड
उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड
पश्चिम बंगाल वक्फ बोर्ड
महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड
बिहार, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्यप्रदेश आदि में भी सक्रिय बोर्ड हैं।
Central Waqf Council नई दिल्ली में स्थित है।
वर्तमान में लगभग 30 राज्य वक्फ बोर्ड कार्यरत हैं, जिनमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल और तमिलनाडु प्रमुख हैं।
वक्फ संपत्तियां: कितनी और कहाँ?
भारत में वक्फ संपत्तियों की संख्या लगभग 8 लाख से अधिक है।
इनमें मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान, अस्पताल, स्कूल, दुकानें और कृषि ज़मीनें शामिल हैं।
कुल वक्फ भूमि लगभग 5 लाख एकड़ है, जो देश के कई राज्यों में फैली हुई है।
वक्फ संपत्तियों की कुल अनुमानित आर्थिक कीमत ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक है।
वक्फ संपत्तियों की स्थिति और विवाद:
कई जगह वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्ज़े, विवाद और भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं।
CAG और अन्य सरकारी रिपोर्ट्स में वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए गए हैं।
राजनीति और वक्फ: किसने क्या किया?
कांग्रेस पार्टी ने वक्फ अधिनियम लाने और Central Waqf Council की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाई।
यूपीए सरकार ने 2006 में सच्चर कमेटी बनाई, जिसने मुस्लिमों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट दी और वक्फ संपत्तियों की बेहतर निगरानी की सिफारिश की।
बीजेपी सरकार के दौर में वक्फ संपत्तियों की digitization पर ज़ोर दिया गया। साथ ही अवैध कब्जों को हटाने की कार्यवाही भी हुई।
वक्फ बोर्ड से जुड़े प्रमुख न्यायिक विवाद और कोर्ट केस
वक्फ बोर्ड से जुड़े प्रमुख न्यायिक विवाद और कोर्ट केस
- सुप्रीम कोर्ट बनाम वक्फ संपत्ति विवाद
सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में कहा है कि वक्फ संपत्तियों की निगरानी पारदर्शिता से होनी चाहिए।
कई जगह वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे, गलत लीज़िंग और भ्रष्टाचार की शिकायतें कोर्ट तक पहुंची हैं।
- 2022: वक्फ संपत्ति पर मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि “हर मुस्लिम संपत्ति वक्फ नहीं होती”।
वक्फ बोर्ड को हर ऐसी संपत्ति पर दावा करने का अधिकार नहीं है जब तक वो कानूनी रूप से वक्फ घोषित न हो।
- गुजरात हाईकोर्ट:
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड को किसी संपत्ति पर दावा करने से पहले पूर्ण दस्तावेजी सबूत पेश करना होगा, अन्यथा वो अतिक्रमण माना जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट में लंबित वक्फ एक्ट पर याचिकाएं:
कुछ याचिकाएं यह भी कहती हैं कि वक्फ बोर्ड को “एक अलग धर्म आधारित संपत्ति संस्था” के रूप में विशेषाधिकार मिलना संविधान की समानता की भावना के खिलाफ है।
राजनीतिक पक्ष:
कांग्रेस का रुख:
वक्फ अधिनियम 1995 और Central Waqf Council की स्थापना कांग्रेस के शासनकाल में हुई।
सच्चर कमेटी (2006) ने मुसलमानों की हालत का आकलन कर वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन की सिफारिश की।
बीजेपी का रुख:
मोदी सरकार ने वक्फ संपत्तियों की डिजिटली निगरानी पर जोर दिया।
2019 में Waqf Properties Eviction Act का प्रस्ताव आया, जिसमें अवैध कब्जों को हटाने की प्रक्रिया को सरल बनाने की बात थी।
वक्फ बोर्ड में कौन-कौन होते हैं?
वक्फ बोर्ड के सदस्य विभिन्न श्रेणियों से आते हैं:
मुस्लिम धर्मगुरु (उलेमा)
वकील
MLA/MP
राज्य सरकार द्वारा नामित अधिकारी
समाजसेवी और वक्फ संपत्ति से जुड़े लोग
इनमें से चेयरमैन का चुनाव किया जाता है।
क्या वक्फ बोर्ड पर कोई कानून पास हुआ है?
हाँ, “Waqf Act, 1995” संसद द्वारा पास किया गया है।
इसके तहत सभी राज्य सरकारों को अपने-अपने वक्फ बोर्ड बनाना अनिवार्य किया गया।
समय-समय पर इसमें संशोधन होते रहे हैं (जैसे 2013 और 2019 में कुछ बदलाव हुए)।
वक्फ बोर्ड की वर्तमान चुनौतियाँ:
- अवैध कब्जे और भ्रष्टाचार
- धार्मिक-राजनीतिक हस्तक्षेप
- पारदर्शिता की कमी
- समाज के लाभ के लिए संसाधनों का सही उपयोग न होना
- धार्मिक कट्टरता से दूर, सेवा-भाव को प्राथमिकता देना
वक्फ बोर्ड: संरचना, कार्यशैली और विवादों का गहराई से विश्लेषण
- वक्फ बोर्ड के सदस्य कौन होते हैं? (Waqf Board Members)
राज्य वक्फ बोर्ड का गठन वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत किया गया है। हर राज्य का वक्फ बोर्ड एक अर्ध-स्वायत्त निकाय होता है जिसमें निम्नलिखित सदस्य शामिल होते हैं:
वक्फ बोर्ड में सदस्यता के वर्ग:
- राजनीतिक प्रतिनिधि:
मुस्लिम समुदाय से राज्य विधानसभा (MLA) या संसद (MP) के सदस्य
- धार्मिक प्रतिनिधि:
इस्लामिक स्कॉलर, मुफ्ती या मौलाना जिन्हें उलेमा प्रतिनिधि माना जाता है
- प्रशासनिक अधिकारी:
राज्य सरकार द्वारा नामित अधिकारी जैसे तहसीलदार, RDO, आदि
- समाजसेवी और पेशेवर वर्ग:
मुस्लिम समाज से जुड़े पेशेवर, NGO प्रतिनिधि या समाजसेवी
- Mutawalli (मुतवल्ली):
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधक जिन्हें विशेष प्रतिनिधित्व दिया जाता है
चेयरमैन का चयन:
राज्य बोर्ड का अध्यक्ष (Chairperson) इन्हीं सदस्यों के बीच से चुना जाता है।
- वक्फ बोर्ड का कार्यक्षेत्र और “कोर्ट” जैसी शक्तियां
वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आने वाली संपत्तियों से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए Waqf Tribunal (वक्फ न्यायाधिकरण) बनाए जाते हैं।
वक्फ ट्रिब्यूनल क्या है?
यह एक अर्द्ध-न्यायिक मंच है जो वक्फ संपत्तियों के विवादों का निपटारा करता है।
इसके निर्णयों को केवल हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
प्रत्येक राज्य या क्षेत्र में अलग-अलग ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं।
वक्फ बोर्ड का “क्वासी-ज्यूडिशियल” पावर:
यह फैसला कर सकता है कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं।
मुतवल्ली की नियुक्ति, लीज़ या स्थानांतरण के मामलों में निर्णय ले सकता है।
किसी संपत्ति पर अवैध कब्जा हटवाने का निर्देश दे सकता है।
- वक्फ की आड़ में क्या-क्या होता रहा है? (विवाद और दुरुपयोग)
वक्फ संपत्तियों का मूल उद्देश्य धार्मिक और परोपकारी कार्यों में उपयोग था, लेकिन वर्षों में इसके कई दुरुपयोग सामने आए हैं।
i. अवैध कब्जे और संपत्ति का हड़प:
वक्फ की संपत्तियां भारत के सबसे अधिक अवैध कब्जों की शिकार हैं।
कई स्थानों पर राजनीतिक संरक्षण में संपत्तियां नाममात्र किराये पर लीज़ पर दी गईं।
ii. वक्फ की आड़ में जबरन संपत्ति अधिग्रहण:
कुछ मामलों में वक्फ बोर्ड ने निजी मुस्लिम मालिकों की संपत्ति को वक्फ घोषित कर कब्जा करने की कोशिश की।
मद्रास हाईकोर्ट ने इस पर टिप्पणी की कि “हर मुस्लिम संपत्ति वक्फ नहीं होती।”
iii. न्यायिक अड़चनें:
वक्फ ट्रिब्यूनल द्वारा लिए गए निर्णयों को केवल हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, जिससे न्याय पाने की प्रक्रिया लंबी और खर्चीली हो जाती है।
iv. धार्मिक कट्टरता और साम्प्रदायिक टकराव:
कई बार वक्फ संपत्तियों पर हिंदू-मुस्लिम विवाद उभरे हैं।
उदाहरण: कुछ मंदिरों की जमीन को भी वक्फ घोषित कर विवाद खड़ा हुआ।
- हालिया विवाद और रिपोर्ट्स
CAG रिपोर्ट (2023):
वक्फ संपत्तियों का गलत प्रबंधन, भ्रष्टाचार और अपारदर्शिता उजागर हुई।
कई बोर्ड बिना proper audit के सालों से काम कर रहे हैं।
PM Modi का डिजिटल वक्फ पोर्टल:
सरकार ने waqf.gov.in नाम से एक पोर्टल लॉन्च किया, जहां वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड होगा।
Supreme Court में लंबित याचिका:
Waqf Act को “संवैधानिक रूप से पक्षपाती” बताते हुए इसकी समीक्षा की मांग की गई है।
- वक्फ संपत्ति की निगरानी और समाधान के सुझाव
- Audit और RTI आधारित निगरानी
- Digital tracking system से सभी लीज़ और किराये सार्वजनिक हों
- Mutawalli चयन में पारदर्शिता और समाज से जुड़े लोग प्राथमिकता में हों
- कोर्ट से बाहर फैसलों में सिविल सोसाइटी का हस्तक्षेप
- वक्फ की संपत्तियों का उपयोग सिर्फ शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबों के लिए सुनिश्चित हो
वक्फ संपत्ति” (Waqf Property) घोषित किया है
वक्फ बोर्ड ने भारत में कई राज्यों और शहरों की लाखों एकड़ जमीन और संपत्तियों को “वक्फ संपत्ति” (Waqf Property) घोषित किया है। कई मामलों में यह विवाद का कारण भी बना है, क्योंकि वक्फ बोर्ड ने सरकारी, निजी और मंदिर की संपत्तियों पर भी दावा किया है। नीचे कुछ प्रमुख लोकेशन्स और विवाद बताए गए हैं जहाँ वक्फ बोर्ड ने संपत्ति को अपनी बताकर विवाद खड़ा किया:
- उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh):
वक्फ बोर्ड ने 1000 से अधिक गांवों की जमीन को अपनी संपत्ति घोषित किया है।
काशी, अयोध्या और मथुरा जैसे क्षेत्रों में भी वक्फ दावों को लेकर विवाद हुआ।
कई मंदिर परिसरों की जमीन पर भी दावे किए गए, जो कोर्ट में चुनौती दी गई।
- दिल्ली:
पुरानी दिल्ली के कई हेरिटेज बिल्डिंग्स, स्कूल्स और बाज़ारों पर वक्फ बोर्ड का दावा है।
जामा मस्जिद क्षेत्र में बड़ी संख्या में दुकानों और घरों पर वक्फ बोर्ड की मुहर है।
2022 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कई मामलों में वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज किया।
- तमिलनाडु:
तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने चौंकाने वाला दावा किया था कि “तमिलनाडु के 7 जिलों की लगभग 7,000 करोड़ रुपये की संपत्ति वक्फ की है।”
CAG रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कई संपत्तियाँ बिना दस्तावेज के वक्फ घोषित की गई थीं।
- महाराष्ट्र:
मुंबई और औरंगाबाद क्षेत्र में वक्फ संपत्तियों की बड़ी संख्या है।
2023 में खुलासा हुआ कि वक्फ बोर्ड ने सरकारी स्कूल की ज़मीन को भी वक्फ घोषित कर दिया था।
- मध्य प्रदेश:
भोपाल और इंदौर में वक्फ बोर्ड द्वारा हजारों एकड़ जमीन को अपनी घोषित किया गया।
कई कॉलोनियों और रिहायशी इलाकों में वक्फ के दावों को लेकर कोर्ट केस चल रहे हैं।
- राजस्थान:
जयपुर, अजमेर और जोधपुर में पुरानी हवेलियों, दरगाहों और स्कूल बिल्डिंग्स पर वक्फ का दावा है।
CAG रिपोर्ट में पाया गया कि वक्फ बोर्ड ने कई निजी संपत्तियों पर भी कब्जा कर रखा है।
- कर्नाटक:
बेंगलुरु में वक्फ संपत्ति से संबंधित विवाद सबसे ज्यादा सामने आए हैं।
RTI और रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कई हजार एकड़ सरकारी जमीन को वक्फ घोषित कर दिया गया, जिसमें बस स्टैंड्स और सरकारी दफ्तर भी शामिल थे।
- हरियाणा और पंजाब:
कुछ क्षेत्रों में किसानों की निजी जमीनों को वक्फ बता दिया गया।
इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “यह जनहित और निजी अधिकारों का उल्लंघन है।”
- पश्चिम बंगाल:
वक्फ संपत्तियाँ यहाँ भी धार्मिक स्थलों, कब्रिस्तानों और मदरसों तक सीमित नहीं रहीं।
कई ज़िलों में बाज़ार, दुकानों और कॉलोनियों की जमीन पर भी दावे हैं।
- बिहार:
पटना और गया क्षेत्र में वक्फ संपत्ति के नाम पर कई हजार करोड़ की जमीनें सूचीबद्ध हैं।
ज़मीन विवाद और लीज़ घोटालों के चलते कई मामलों की जाँच चल रही है।
निष्कर्ष:
भारत में वक्फ बोर्ड ने कई ऐसे स्थानों पर भी संपत्ति घोषित कर दी जहाँ वैध दस्तावेज़ नहीं थे। इससे:
कानूनी विवाद
धार्मिक तनाव
आम नागरिकों का भूमि अधिकार संकट
जैसे गंभीर मुद्दे खड़े हुए हैं। अब कोर्ट और सरकार दोनों डिजिटलीकरण और सत्यापन प्रक्रिया की ओर बढ़ रहे हैं ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
मंदिर-मठ और सरकारी ज़मीनों पर दावे
मंदिरों की ज़मीन पर वक्फ का दावा
i. तमिलनाडु (2022-23 का सबसे चर्चित मामला):
वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि तिरुचिरापल्ली, वेल्लोर, डिंडीगुल जैसे जिलों की 7 जिलों की 7,000 करोड़ से अधिक संपत्ति वक्फ की है।
इस लिस्ट में हिंदू मंदिरों की ज़मीनें, ट्रस्ट की संपत्तियाँ और निजी हिंदू परिवारों की ज़मीनें भी शामिल थीं।
हिंदू मुन्नानी और अन्य संगठनों ने इसका ज़ोरदार विरोध किया।
ii. कर्नाटक:
बेंगलुरु और धारवाड़ में मंदिर ट्रस्ट की ज़मीन को वक्फ घोषित किया गया, जबकि दस्तावेज़ों में वे संपत्तियाँ दशकों से हिंदू ट्रस्ट की थीं।
RTI कार्यकर्ता टी.जे. अब्राहम ने इस पर PIL दायर की थी।
- मठों और धर्मशालाओं पर दावा
उत्तर भारत में पुराने सनातनी मठों की ज़मीनों पर भी कई जगह वक्फ बोर्ड ने दावा ठोका, ये ज़मीनें दशकों से धार्मिक, शिक्षण या आश्रमों द्वारा चलाई जा रही थीं।
राजस्थान और बिहार में ऐसे मामलों की जानकारी RTI और कोर्ट के जरिए सामने आई।
- चर्च पर वक्फ का दावा
i. केरल और गोवा:
पुराने पुर्तगाली चर्चों के आसपास की ज़मीनों पर कुछ वक्फ दावों को लेकर स्थानीय विवाद हुए, लेकिन ज़्यादातर चर्चों का डॉक्यूमेंटेशन मजबूत होने से दावे टिक नहीं पाए।
ii. मुंबई में एक मामला:
एक पुराने चर्च के पास की ज़मीन को वक्फ संपत्ति बताया गया, जबकि वह चर्च के रिकॉर्ड में 1800 के दशक से दर्ज थी।
- कोर्ट की टिप्पणियाँ और कार्रवाइयाँ
i. मद्रास हाईकोर्ट (2022):
“हर मुस्लिम व्यक्ति की संपत्ति वक्फ नहीं हो सकती। वक्फ बोर्ड अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा रहा है।”
ii. सुप्रीम कोर्ट में याचिका:
कई याचिकाओं में वक्फ एक्ट 1995 को चुनौती दी गई है, विशेष रूप से यह कहते हुए कि यह अन्य धर्मों के लिए समान अधिकार नहीं देता, क्योंकि मंदिर, चर्च या गुरुद्वारे के लिए ऐसा केंद्रीय एक्ट नहीं है।
वक्फ बोर्ड और कांग्रेस पार्टी
कांग्रेस सरकार ने ही वक्फ बोर्ड को सबसे ज़्यादा बढ़ावा दिया:
2005 में Sachar Committee बनाई – मुस्लिमों की हालत सुधारने के नाम पर।
2009 में Waqf Development Corporation का प्रस्ताव।
2013 में वक्फ एक्ट में संशोधन, जिससे वक्फ बोर्ड को और अधिकार मिले।
सरकारी बजट से वक्फ बोर्ड को करोड़ों रुपये की फंडिंग।
Digitization of Waqf properties और नए बोर्ड सदस्यों की नियुक्तियाँ।
कांग्रेस ने कई बार वक्फ को अल्पसंख्यक अधिकार के नाम पर बढ़ावा दिया, लेकिन कभी इसकी पारदर्शिता पर ध्यान नहीं दिया।
निष्कर्ष
Waqf Board का गठन एक धार्मिक संस्था के रूप में हुआ था, पर समय के साथ यह एक असाधारण भूमि साम्राज्य बन चुका है — जिसमें राजनीति, धर्म और सत्ता का गहरा गठजोड़ दिखता है। विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी की नीतियाँ और कानून वक्फ के पक्ष में bend किए गए, जिससे यह बोर्ड किसी को जवाबदेह नहीं रहा।
राज्यवार वक्फ संपत्तियों की विस्तृत सूची
निम्नलिखित जानकारी के अनुसार, वक्फ संपत्तियों, प्रमुख न्यायालय मामलों, और RTI के माध्यम से उजागर तथ्यों का विवरण प्रस्तुत किया गया है:
भारत में वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर लगभग 8.72 लाख संपत्तियाँ और 38 लाख एकड़ भूमि है। कुछ प्रमुख राज्यों में वक्फ संपत्तियों का विवरण निम्नानुसार है:
स्रोत:
- प्रमुख न्यायालय मामले और निर्णय
ताजमहल पर स्वामित्व विवाद: सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ताजमहल पर स्वामित्व का दावा किया था, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक साक्ष्यों की कमी के कारण खारिज कर दिया। न्यायालय ने निर्णय दिया कि ताजमहल राष्ट्रीय धरोहर है और किसी विशेष समूह का स्वामित्व नहीं हो सकता।
लाल किला और कुतुब मीनार पर दावे: वक्फ बोर्ड ने इन स्मारकों पर भी स्वामित्व के दावे किए हैं, जो न्यायालयों में विवादित रहे हैं। इन मामलों में न्यायालयों ने वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज करते हुए इन्हें राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया है।
- RTI के माध्यम से उजागर किए गए तथ्य
डिजिटलीकरण में असंगतियाँ: RTI के माध्यम से पता चला कि वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण में कई असंगतियाँ हैं। उदाहरण के लिए, देशभर में 994 वक्फ संपत्तियाँ ‘विलुप्त संपत्तियों’ के रूप में दर्ज की गई हैं।
सूचना का अभाव: कई वक्फ बोर्डों ने RTI के तहत जानकारी प्रदान करने में अनिच्छा दिखाई है, जिससे पारदर्शिता में कमी आई है। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों को RTI अधिनियम के तहत लाने के लिए सूचना आयोग को हस्तक्षेप करना पड़ा।
वित्तीय पारदर्शिता की कमी:
RTI के माध्यम से यह भी उजागर हुआ कि कई वक्फ बोर्ड अपनी वित्तीय जानकारी सार्वजनिक नहीं करते, जिससे उनके द्वारा प्रबंधित संपत्तियों की आय और व्यय का सही आकलन करना कठिन होता है।
नोट: उपरोक्त जानकारी विभिन्न स्रोतों से संकलित की गई है और समय के साथ बदल सकती है। वक्फ संपत्तियों और संबंधित मामलों की अद्यतन जानकारी के लिए आधिकारिक वक्फ बोर्डों और सरकारी प्रकाशनों से परामर्श करना उचित होगा।
निम्नलिखित जानकारी के अनुसार, वक्फ संपत्तियों, प्रमुख न्यायालय मामलों, और RTI के माध्यम से उजागर तथ्यों का विवरण प्रस्तुत किया गया है:


